Tuesday, September 23, 2025
Google search engine
Homeअध्यात्मपत्नी के वचनों ने तुलसीदास को दिखाया राममय मार्ग

पत्नी के वचनों ने तुलसीदास को दिखाया राममय मार्ग



संचार क्रांति – सिद्धार्थनगर। मेरे अस्थि-चर्ममय शरीर के पीछे दीवाने होकर तुने जितना कष्ट उठाया, यदि उतना ही प्रभु श्रीराम के लिए उठाया होता तो संसार के बंधन से मुक्त हो जाते…”पत्नी रत्नावली के इन वचनों ने महाकवि तुलसीदास जी के जीवन की धारा ही बदल दी। इस एक वाक्य ने उन्हें सांसारिक मोह से हटाकर प्रभु श्रीराम की अनन्य भक्ति में स्थायी रूप से बाँध दिया। पत्नी के वचनों ने तुलसीदास को दिखाया राममय मार्ग। इसी भक्ति से प्रेरित होकर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस जैसी कालजयी रचना की, जिसने समाज को भक्ति, नैतिकता और आत्मविश्वास का मार्ग दिखाया।
     तुलसीदास जयंती के अवसर पर रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज में आयोजित समारोह में प्रधानाचार्य डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि तुलसीदास जी का संपूर्ण जीवन समर्पण, साधना और समाज को एक सूत्र में जोड़ने की अनुपम मिसाल है। उन्होंने कहा कि उनकी रचनाएँ आज भी करोड़ों लोगों के जीवन में आशा और प्रेरणा का संचार करती हैं।
  आचार्य अनीश पाठक ने अपने उद्बोधन में बताया कि पत्नी के साधारण से दिखने वाले वचनों ने तुलसीदास जी को राममय जीवन का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि मुगलकालीन विषम परिस्थितियों में भी तुलसीदास जी की रचनाओं ने अपमानित, तिरस्कृत और निराश्रित हिंदू समाज को आत्मबल और संस्कारों की शक्ति का स्मरण कराया।
   इस अवसर पर जयंती प्रमुख आचार्य श्री दिलीप श्रीवास्तव, श्री दिग्विजय नाथ मिश्र  सहित अनेक आचार्य बंधु, भैया-बहिनें एवं विद्यालय परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!