संचार क्रांति – सिद्धार्थनगर – के जिलाधिकारी द्वारा त्वरित संज्ञान में लिया गया आदेश: जनहित में सराहनीय कार्य
“राप्ती सेतु के बीच में आई दरार, हादसे का खतरा” ने जिले भर में चिंता की लहर पैदा कर दी। उक्त विषय को गंभीरता से लेते हुए सिद्धार्थनगर के जिलाधिकारी डॉ. राजगणपति आर ने तत्परता और जिम्मेदारी का परिचय देते हुए महत्त्वपूर्ण आदेश जारी किया।
इस आदेश के अनुसार, 26 जुलाई को उप जिलाधिकारी डुमरियागंज और निर्माण खंड लोक निर्माण विभाग द्वारा निरीक्षण किया गया, जिसमें पाया गया कि राप्ती नदी पर स्थित सेतु (राज्य मार्ग-75) की स्थिति अत्यंत जर्जर है और सुरक्षा दृष्टिकोण से असुरक्षित है। सेतु पर भारी वाहनों की आवाजाही को तुरंत रोकने की आवश्यकता जताई गई।
प्रमुख बिंदु जो आदेश में शामिल हैं:
1. भारी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है। अब बस्ती से डुमरियागंज होते हुए इटवा, शोहरतगढ़, बढ़नी और नेपाल जाने वाले भारी वाहन सिद्धार्थनगर-बांसी-सहियापुर मार्ग से गुजरेंगे।
2. डुमरियागंज की ओर से आने वाले वाहन वेड़ान चौरा से होकर परसा बाजार, बांसी, नौगढ़, शोहरतगढ़ होकर अपने गंतव्य तक जाएंगे।
3. इटवा से सहियापुर मंडी होते हुए बस्ती की ओर जाने वाले वाहन, डोहवा चौराहा से बांसी की ओर मुड़ेंगे।
4. गोल्हौरा से आने वाले वाहन गोल्हौरा-बरगदवा मार्ग होकर एमएसएनएच-28 के रास्ते गंतव्य तक जाएंगे।
5. बिस्कोहर, भरथुईया, मनोजपुर से बांसी की ओर आने-जाने की व्यवस्था की गई है।
क्यों है यह निर्णय प्रशंसनीय?
जनहित को सर्वोपरि रखते हुए जिलाधिकारी ने बिना किसी देरी के कार्रवाई की।
उन्होंने विकल्पिक यातायात मार्गों की स्पष्ट व्यवस्था की, जिससे आम जनता को असुविधा न हो।
इस आदेश में स्थानीय प्रशासन, पुलिस, निर्माण विभाग तथा अन्य संबंधित विभागों को भी निर्देशित किया गया कि वे सहयोग करें और आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करें।
इस तरह के प्रभावी निर्णय और प्रशासनिक तत्परता जनता में शासन और प्रशासन पर विश्वास को मजबूत करते हैं। यह आदेश सिर्फ़ एक कागज़ी औपचारिकता नहीं, बल्कि जन सुरक्षा और जिम्मेदारी का जीवंत उदाहरण है।
डॉ. राजगणपति आर जैसे अधिकारी, जो जन समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए त्वरित निर्णय लें, प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ होते हैं।