संचार क्रांति : सिद्धार्थनगर। सांसद जगदंबिका पाल ने संसद में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्याओं को प्रमुखता से उठाते हुए सरकार से उनके मानदेय में वृद्धि, अवकाश, पेंशन और अन्य सुविधाओं की मांग की। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं सिर्फ पोषाहार वितरण तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उत्तर प्रदेश में लाखों कार्यकर्ता कर रही हैं सेवाएं
सांसद जगदंबिका पाल ने बताया कि पूरे भारत में 12,93,448 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 11,64,178 सहायिकाएं कार्यरत हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश में 1,54,342 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 1,32,671 सहायिकाएं अपनी सेवाएं दे रही हैं। इन कार्यकर्ताओं का काम 3-6 वर्ष के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना, स्वच्छता अभियान, पोषण अभियान एवं अन्य सरकारी योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर लागू करना है।
₹6,000 मानदेय अपर्याप्त
सांसद ने कहा कि इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने के बावजूद, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मात्र ₹6,000 प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है, जो उनके परिवार के भरण-पोषण, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है।
अवकाश और पेंशन जैसी सुविधाएं भी नहीं
सांसद जगदंबिका पाल ने यह भी बताया कि Maternity Benefit (Amendment) Act, 2017 के तहत सभी महिला कर्मचारियों को 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है, लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इसका कोई लाभ नहीं मिलता। इसके अलावा, इनके लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश का भी कोई प्रावधान नहीं है।
सांसद ने सरकार से की ये मांगें:
1. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि की जाए।
2. ग्रीष्मकालीन और मातृत्व अवकाश की सुविधा दी जाए।
3. सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन का प्रावधान किया जाए।
4. कार्यकाल के दौरान आकस्मिक मृत्यु पर मुआवजा दिया जाए।
सांसद जगदंबिका पाल ने सरकार से जल्द से जल्द उचित निर्णय लेने की अपील की, ताकि इन महिला कार्यकर्ताओं की मेहनत और योगदान को उचित मान्यता मिल सके।