रमटिकरा में संगीतमयी श्रीराम कथा अमृत वर्षा का आयोजन
संचार क्रांति (सिद्धार्थनगर)। जब जब धर्म पर संकट आता है तब तब परमात्मा उसकी रक्षा हेतु अवतार लेते हैं। त्रेता युग में जब असुरों का अत्याचार बढ़ा तब राजा दशरथ के पुत्र राम के रूप में भगवान ने अवतार लिया। और धर्म की रक्षा करते हुए दैत्यों का संहार किया।
उक्त विचार कथा व्यास बलराम दास जी ने व्यक्त किया। वे बृहस्पतिवार की रात्रि में बांसी ब्लाक क्षेत्र के रमटिकरा में संगीतमयी श्रीराम कथा की अमृत वर्षा के आयोजन में कथा प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चौथेपन में राजा दशरथ के चार पुत्र हुए, जिसमें उनके सबसे प्रिय पुत्र राम व लक्ष्मण को यज्ञ व धर्म रक्षा हेतु मुनि विस्वामित्र मांग ले गए। राम लक्ष्मण ने मुनि के यज्ञ की रक्षा करते हुए जहां ताड़का, सुबाहु जैसे राक्षसों का वध किया। वहीं शाप वश पाषाण बनी अहिल्या का उद्धार भी किया। मुनि विस्वामित्र को जनकपुर में आयोजित धनुष यज्ञ का निमंत्रण मिला। तब धनुष यज्ञ की रक्षा हेतु दोनों भाइयों को लेकर वे जनकपुर की ओर चल पड़े। दोनों भाई मुनि के साथ धनुष यज्ञ में पहुंचकर उसकी रक्षा करते हुए राजा जनक के प्रण की रक्षा करते हैं। जिस शिव धनुष को कोई हिला न सका, राम ने उसे पलक झपकते उठाकर तोड़ दिया। राजा जनक के प्रण के अनुसार उनकी पुत्री सीता उन्हें वरमाला पहनाती हैं। खबर अयोध्या पहुंचती है। राजा दशरथ बारात लेकर जनकपुर पहुंचे। जहां राम से सीता का विवाह तो हुआ ही साथ में लक्ष्मण का उर्मिला से, भरत का मांडवी से व शत्रुघ्न का श्रुतिकीर्ति से विवाह हुआ। जनकपुर में महीनों उत्सव मनाया गया। कथा व्यास ने कहा कि गाय, पृथ्वी, मनुष्य, देवता, सन्त की रक्षा व यज्ञ की रक्षा हेतु परमात्मा अवतार लेते हैं। राम रूप में ऐसे परमात्मा को पाकर राजा जनक ही नही पूरे जनकपुर वासी धन्य हो गए। आयोजन में रामविवाह के दौरान भजनों व भक्ति गीतों पर खूब जयकारे लगे। बधाई गीतों पर भक्तों ने नृत्य भी किया। यज्ञाचार्य सुनील शास्त्री के वेद मंत्रोच्चार से माहौल भक्तिमय हो गया। उक्त दौरान मुख्य यजमान सेवानिवृत्त शिक्षक रामलौटन यादव, शिक्षक करुणाकर यादव, भाजपा नेता ओमप्रकाश त्रिपाठी, सुरेंद्र मणि त्रिपाठी,अनिल वर्मा, अष्टभुजा त्रिपाठी, सतीशचन्द्र त्रिपाठी, टुंगनाथ त्रिपाठी, शिवपूजन वर्मा, केशव यादव, त्रिलोकी, जिलाजीत, जोखन, अम्बिका, अर्जुन आदि समेत काफी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।
