Wednesday, March 12, 2025
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Homeअध्यात्मप्रारब्ध में संचित कर्म को हमें भोगना ही पड़ेगा- ब्रम्हानंद शास्त्री

प्रारब्ध में संचित कर्म को हमें भोगना ही पड़ेगा- ब्रम्हानंद शास्त्री



संचार क्रांति – सिद्धार्थनगर। नौगढ़ ब्लॉक अन्तर्गत ग्राम पंचायत साहा में आयोजित श्री रुद्र महायज्ञ कार्यक्रम अन्तर्गत मंगलवार कथा विश्राम दिवस पर श्रीमद्भागवत कथा सुनाते हुए आचार्य ब्रम्हानंद शास्त्री कहा कि प्रारब्ध में संचित कर्म को हमें भोगना ही पड़ेगा।भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न को शम्भरासुर ने
अपने मौत का कारण मानकर समुद्र में फेंक दिया। लेकिन प्रद्युम्न समुद्र में मछली के पेट में भी सुरक्षित हो गये। भाग्य में लिखा हुआ हमें अवश्य प्राप्त होगा। जिसके डर के कारण समुद्र में फेंक दिया, वहीं बालक प्रद्युम्न मछली के पेट से शम्भरासुर के घर पर ही आ गये।
रति व कामदेव के रूप मे पुनः मिलन, शम्भरासुर का उद्धार प्रद्युम्न का पुनः द्वारिका में लौटना, श्यामंतक मणि की महिमा व भगवान श्रीकृष्ण को कलंक लगने, शत्राजित व प्रसेनजीत की  मार्मिक कथा सुनाई।
आचार्य ब्रम्हानंद शास्त्री ने कहा कि मनुष्य जीवन की सार्थकता ईश्वर की भक्ति में है। हम अपने जीवन को व्यर्थ में न गंवाये।हमेशा परोपकार व मानव सेवा में तल्लीन रहें।
सप्तम दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रीकांत शुक्ल, अनन्त शुक्ल, गिरजेश शुक्ल, कोदई प्रसाद,शिखा शुक्ला, साक्षी शुक्ला, सतीश कुमार शुक्ल, दिनेश शुक्ल व अन्य श्रोता गण उपस्थित रहें।

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