क्रासर:
बीडी बांध के दो बड़े गैप प्रति वर्ष मचाते हैं क्षेत्र में तबाही।
संचार क्रांति – संवाददाता गोल्हौरा, बांसी, सिद्धार्थनगर
जिले के दो तहसील क्षेत्र के किसानों के सुरक्षा हेतु बीडी बांध का निर्माण कराया गया था जो आज तक अधूरा होने के कारण प्रतिवर्ष हजारों एकड़ फसल सहित दर्जनों गांव के लोगों का जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। इसी कारण राप्ती नदी के बढ़ाव को देख लोगों में भय व्याप्त है। भयभीत किसान प्रशासन से बांध निर्माण पूर्ण करने का आग्रह कर रहे हैं।
क्षेत्र स्थित 30 किलोमीटर लम्बा बांसी- डुमरियागंज बांध का निर्माण लगभग 3 दशक पूर्व शुरू हुआ था जो अभी भी पूर्ण न होने के कारण बांसी व इटवा तहसील क्षेत्र में दर्जनों गांव प्रतिवर्ष राप्ती नदी के आगोश में समा जाता है।
बांसी- डुमरियागंज बांध पर मगरगाहा व तिघरा गांव के सीवान में लगभग एक- एक किलोमीटर का गैप आज भी क्षेत्र के किसानों को चिढ़ा रहा है। उक्त गैपों से लगभग 50 गांव का फसल व मानव जनजीवन तबाह हो जाता है। जिसके बदले में सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति के रूप में दाल में नमक के समान दे कर शांत कर देती है। क्षेत्र के गोठवा, तेलौरा, मेंचुका, जाल्हेखोर, सिगिया, भैसठ, वेमौवा, मगरगाहा, रमटिकरा, जीवपुर, सेखुई, अमघट्टी, कोल्हुई बुजुर्ग, निबियहवा, मऊ, मझारी सहित दर्जनों गांव के लोगो में प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है।
लोगों ने कहा-

गोल्हौरा पाठक निवासी जनार्दन पाठक का कहना है कि हम लोग धान का फसल लगाते समय ही भगवान के भरोसे छोड़ देते हैं। विभागीय उदासीनता के चलते तिघरा गैप पूरे क्षेत्र में तबाही मचाते हुये अपने आगोश में समा लेती है।

जाल्हेखोर निवासी हरीराम द्विवेदी के मुताबिक शासन की लचर नीति के चलते बीडी बांध के मगरगाहा गैप से निकले जल प्रलय से दर्जनों गांव राप्ती के आगोश में समा जाता है।