स्त्रीरोग संबंधी समस्या हो तो वक्त पर इलाज करना जरुरी, डॉक्टर से जरूर लें सलाह
संचार क्रांति – सिद्धार्थनगर। वैसे तो सेहत को दुरुस्त रखना सबके लिए प्राथमिकता होती है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि परिवार की देख-रेख करने के दौरान महिलाएं अपनी सेहत को लेकर कुछ लापरवाह हो जाती हैं। महिलाओं की हेल्थ पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड होती है और इसीलिए सेहतमंद रहने के लिए महिलाओं को अपनी बॉडी की ज्यादा केयर करने की जरूरत होती है। ऐसी कई बीमारियां हैं जिनकी चपेट में महिलाएं ज्यादा आती हैं।
उक्त बातें स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ चारु बाला शर्मा ने एक भेंट वार्ता के दौरान कही। उन्होंने बताया कि लगभग सभी महिलाओं को अपने जीवन में कभी न कभी स्त्री रोग संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डॉ चारु बाला शर्मा ने बताया कि स्त्रीरोग संबंधी समस्याएं महिला की प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करती है, जिसमें स्तन और गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, योनि सहित अन्य पेट और श्रोणि अंग शामिल हैं।
ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं को होने वाली गंभीर बीमारियों में से एक है। तीस वर्ष के बाद महिलाओं को वर्ष में कम से कम एक बार ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी टेस्ट करवाना चाहिए। एनीमिया हालांकि सामान्य बीमारी है, लेकिन ये बीमारी भी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को ज्यादा शिकार बनाती है। महिलाएं चूंकि परिवार और करियर की व्यस्तता के कारण अपनी खास देखभाल नहीं कर पाती और सही से डाइट भी नहीं लेती, इसलिए महिलाएं अक्सर एनीमिया का शिकार हो जाती हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि हर साल कंपलीट ब्लड काउंट टेस्ट करवाया जाए ताकि शरीर में हीमोग्लोबिन की सही स्थिति का पता चल सके। महिलाएं अक्सर वैजिनाइटिस रोग से परेशान रहती हैं। इस बीमारी में वजाइना में इंफेक्शन हो जाता है और खुजली, जलन, असामान्य स्राव होना इसके तहत आता है। बेक्टीरियल इंफेक्शन और हाइजीन की कमी के साथ साथ यौन संचारित रोगों के चलते भी वैजिनाइटिस होने का रिस्क बढ़ जाता है। मासिक धर्म के दौरान पीठ के निचले हिस्से या पेट में दर्द होना बहुत आम है। डिसमेनोरिया तब विकसित हो सकता है, जब मजबूत संकुचन से गर्भाशय को ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है। महिलाओं में उनके प्रजनन वर्षों के दौरान ओवेरियन सिस्ट बहुत आम हैं। अधिकांश महिलाएं अपने जीवनकाल में कम से कम एक ओवेरियन सिस्ट विकसित करती हैं। अंडाशय महिला प्रजनन प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं। पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ओवेरियन फॉलिकल अंडे के बजाय सिस्ट पैदा करते हैं। नतीजतन, उत्पादित अंडों की संख्या कम हो जाती है, जिससे प्रजनन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इससे डिप्रेशन और मूड स्विंग हो सकता है।
डॉ चारु बाला शर्मा ने कहा कि कोई भी स्त्रीरोग संबंधी समस्या हो तो वक्त पर इलाज करना जरुरी है। डॉक्टर से जरूर सलाह लेना चाहिए।